UP Board Hindi – Class 10th Hindi Kavya Solutions Surdas ke pad (सूरदास के पद ) पद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर , काव्य खंड के प्रश्न उत्तर

UP Board Hindi – Class 10th Hindi Kavya Solutions Surdas ke pad (सूरदास के पद व्याख्या) पद्यांश आधारित प्रश्न उत्तर , काव्य खंड के प्रश्न उत्तर- Up Board Solution of Surdas ke Pad ki vyakhya पद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर|

Surdas ke Pad Expalination and Question answers, चरन-कमल बंदौं हरि राइ , अबिगत-गति कछु कहत न आवै ।,किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत ।, संदेसौं देवकी सौं कहियौ ।निरगुन कौन देस कौ बासी ?ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने।, ऊधौ मन न भए दस बीस।, ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं । सखी री, मुरली लीजै चोरि । मैया हौं न चरैहौं गाइ। मैं अपनी सब गाइ चरैहौं| Ki Vyakhya , Ke Prashn Uttar , की व्याख्या , के प्रश्नोत्तर|

Up Board Solutions for Class 10th Suradas ke pad
Soordas Ke Pad Vyakhya Class 10th

चरन-कमल बंदौं हरि राइ ।

जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे, अंधे को सब कछु दरसाइ

बहिरौ सुने, गूँग पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराइ।

सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तिहिं पाइ।।1।।

  • प्रस्तुत पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक के काव्य खंड से सूरदास जी द्वारा रचित ‘पद’ नामक शीर्षक से उद्धृत है।

  • सूरदास किसके चरणों की वंदना कर रहे हैं?

उत्तर- सूरदास भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों की बना कर रहे हैं

  • चरण-कमल में अलंकार बताइए।

उत्तर – चरण- कमल’ में रूपक अलंकार है

  • हरि की कृपा से क्या सम्भव हो सकता है?

उत्तर- हरि की कृपा से लंगड़ा पर्वत को लांघ सकता है, अंधा सब कुछ देख सकता है, बहरा सुन सकता है तथा गूँगा बोल सकता है साथ ही भिखारी राजा बन सकता है।

  • रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिये।

उत्तर – व्याख्या के लिए यहाँ क्लिक करें |

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस छंद अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- भक्ति, छंद -गेय पद,  भाषा- ब्रज तथा अलंकार रूपक है।

 

अबिगत-गति कछु कहत न आवै ।

ज्यौं गूँगे मीठे फल कौ रस, अंतरगत ही भावै ।

परम स्वाद सबही सु निरंतर, अमित तोष उपजावै । मन-बानी कौ अगम- अगोचर, सो जानै जो पावै।

रूप-रेख-गुन-जाति-जुगति-बिनु, निरालंब कित धावै।

सब विधि अगम विचारहिं तातै, सूर सगुन-पद गावै ।।2।

  • ‘अविगत’ का क्या अर्थ है?

उत्तर- नित्य (ईश्वर)

  • मन और वचन से कौन अगम व अगोचर है?

उत्तर- निर्गुण निराकार ब्रह्म

  • सूर सगुण पद का गायन क्यूँ करने लगते हैं?

उत्तर- निर्गुण निराकार ब्रह्म सब प्रकार से अपराध पर है ऐसा सोच कर सूर सगुण पद का गायन करते हैं।

  • रुप, रेखा, जाति और युक्तिहीन किसे कहा गया है?

उत्तर- निर्गुण निराकार ब्रह्म को।

  • प्रस्तुत पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर- उपर्युक्त है।

  • रेखाँकित पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिये।

उत्तर – व्याख्या के लिए यहाँ क्लिक करें |

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।
  • उत्तर- रस शांत, छंद -गेय पद,  भाषा- ब्रज तथा अलंकार -अनुप्रास है।

 

किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत ।

मनिमय कनक नंद कै आँगन, बिम्ब पकरिबै धावत

कबहुँ निरखि हरि आपु छाँह कौ, करि सौं पकरन चाहत।

किलकि हँसत राजत द्वै दतियाँ, पुनि-पुनि तिहिं अवगाहत।

कनक- भूमि पर कर-पग छाया, यह उपमा इक राजति

करि-करि प्रतिपद प्रतिमनि बसुधा, कमल बैठकी साजति।

बाल-दस-सुख रख जसोदा, पुनि-पुनि नंद बुलावति

अँचरा तर लै ढाँकि, सूर के प्रभु को दूध पियावति ।। 3 ।।

  • कौन किलकारी मरता हुआ घुटनो के बल आ रहा है?

उत्तर- श्री कृष्ण

  • अवगाहत और कनक शब्दों का अर्थ लिखिए।

उत्तर- अवगाहत – दिखाते हैं, और कनक – स्वर्ण।

  • अपनी ही छाया को देखकर उसे कौन पकड़ना चाहता है?

उत्तर- श्री कृष्ण।

  • हाथ पैरों की छाया कहां पड़ रही है?

उत्तर- स्वर्ण जैसी भूमि पर।

  • पृथ्वी कमल की बैठकी किसके लिए सजाती है?

उत्तर- बालक श्री कृष्ण के लिए।

  • नंद बाबा को यशोदा क्यों बुला रही हैं?

उत्तर- बालक की क्रीड़ा को देखकर ।

  • सूर् के प्रभु का कौन है?

उत्तर- श्री कृष्ण

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस छंद अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस वात्सल्य, छंद -गेय पद,  भाषा- ब्रज तथा अलंकार -उपमा, रूपक है।

 

मैं अपनी सब गाइ चरैहौं|

प्रात होत बल कै संग जैहौं, तेरे कहें न रैहौं।

ग्वाल बाल गाइनि के भीतर नैकहुँ डर नहिं लागत।

आज न सोवौं नंद- दुहाई, रैनि रहौंगो जागत।

और ग्वाल सब गाइ चरैहैं, मैं घर बैठो रैहौं ?

सूर स्याम तुम सोइ रहौ अब, प्रात जान मैं देहौं ।। 4 ।।

  • गाय चराने की जिद कौन कर रहा है?

उत्तर – गाय चराने की जिद श्री कृष्ण कर रहे हैं।

  • नैकहूं , रैनि, दुहाई आदि शब्दों का अर्थ लिखिए। उत्तर – नैकहूं- तनिक भी, रैनि- रात्रि, दुहाई- शपथ।
  • “सूर स्याम तुम सोइ रहौ अब, प्रात जान मैं देहौं” यह कौन किससे कह रहा है?

उत्तर- माता यशोदा श्री कृष्ण से कह रही हैं।

  • रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – व्याख्या के लिए यहाँ क्लिक करें |

  • प्रस्तुत पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर- उपर्युक्त।

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, भाषा, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस-वात्सल्य, छंद, भाषा, अलंकार एवं गुण

 

मैया हौं न चरैहौं गाइ।

सिगरे ग्वाल घिरावत मोसो, मेरे पाइ पिराइ।

जौं न पत्याहि पूछि बलदाउहिं, अपनी सौहँ दिवाइ।

यह सुनि माई जसोदा ग्वालिन, गारी देति रिसाइ ।

मैं पठवति अपने लरिका कौं, आवै मन बहराइ ।

सूर स्याम मेरौ अति बालक, मारत ताहि रिंगाइ ||5 ||

  • प्रस्तुत पद्यांश में किन दो लोगों के साथ वार्तालाप चल रहा है?

उत्तर – माता यशोदा तथा श्री कृष्ण में वार्तालाप चल रहा है।

  • सभी ग्वाल-बाल किस से गाय गिर घिराते हैं?

उत्तर- सभी ग्वाल बाल श्री कृष्ण से गाय घिरवाते हैं।

  • पत्याहि, रिसाइ, रिंगाइ आदि शब्दों के अर्थ लिखिए।

उत्तर- पत्याहि- विश्वास, रिसाइ- क्रोधित, रिंगाइ- दौड़ाकर।

  • ग्वालो को क्रोधित होकर कौन गाली देता है?

उत्तर- माता यशोदा।

  • प्रस्तुत पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर- उपर्युक्त।

  • रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – व्याख्या के लिए यहाँ क्लिक करें |

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- वात्सल्य, छंद- गेय पद, अलंकार- अनुप्रास, भाषा- ब्रज, गुण- प्रसाद।

 

सखी री, मुरली लीजै चोरि ।

जिनि गुपाल कीन्हे अपनैं बस, प्रीति सबनि की तोरि ।।

छिन इक घर-भीतर, निसि- बासर, धरत न कबहूँ छोरि।

कबहूँ कर, कबहूँ अधरनि, कटि कबहूँ खोंसत जोरि ।।

ना जानौं कछु मेलि मोहिनी, राखे अँग-अँग भोरि।

सूरदास, प्रभु कौ मन सजनी, बँध्यौ राग की डोरि ।।6।।

  • श्री कृष्ण की मुरली चुराने के लिए कौन कह रहा है?

उत्तर – गोपिकाएं।

  • गोपाल श्री कृष्ण को अपने वश में किसने कर लिया है?

उत्तर- बांसुरी ने

  • श्री कृष्ण किसे कभी छोड़कर नहीं रखते?

उत्तर – श्री कृष्ण बांसुरी को नहीं रखते

  • घर-भीतर, दिन-रात श्री कृष्ण किसे साथ में रखते हैं?

उत्तर – मुरली अथवा बांसुरी

  • पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर – उपर्युक्त

  • रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – व्याख्या के लिए यहाँ क्लिक करें |

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- श्रृंगार, छंद- गेय पद, अलंकार- अनुप्रास, भाषा- ब्रज, गुण- प्रसाद, माधुर्य।

 

ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं ।

वृन्दाबन गोकुल बन उपवन, सघन कुँज की छाहीं।।

प्रात समय माता जसुमति अरु नंद देखि सुख पावत।

माखन रोटी दह्यौ सजायौ, अति हित साथ खवावत ।।

गोपी ग्वाल बाल सँग खेलत, सब दिन हँसत सिरात ।

सूरदास धनि धनि ब्रजवासी, जिनसौं हित जदु-तात ।।7।।

  • यहां पर किन के बीच वार्तालाप चल रहा है?

उत्तर- यहां पर श्री कृष्ण और उद्धव के बीच वार्तालाप चल रहा है।

  • किसे ब्रज भुलाए नहीं भूलता?

उत्तर- श्रीकृष्ण को ब्रज भुलाए नहीं भूलता।

  • यशोदा माता और नंद बाबा किसे देखकर सुख प्राप्त करते थे?

उत्तर- श्रीकृष्ण को देखकर सुख प्राप्त करते थे।

  • माखन, रोटी, दही, मट्ठा इत्यादि प्रेम के साथ श्री कृष्ण को कौन खिलाता था?

उत्तर- माता यशोदा तथा नंदबाबा।

  • श्री कृष्ण का दिन किस प्रकार हंसते खेलते समाप्त होता था?

उत्तर- गोपी, ग्वाल-बालों के साथ खेलते हुए श्री कृष्ण का दिन समाप्त होता था।

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- श्रृंगार, छंद- गेय पद, अलंकार- अनुप्रास, भाषा- ब्रज, गुण- प्रसाद, माधुर्य।

 

 

ऊधौ मन न भए दस बीस।

एक हुतौ सो गयौ स्याम सँग, को अवराधै ईस ।।

इंद्री सिथिल भई केसव बिनु, ज्यौं देही बिनु सीस।

आसा लागि रहति तन स्वासा, जीवहिं कोटि बरीस ।।

तुम तौ सखा स्याम सुन्दर के सकल जोग के ईस।

सूर हमारै नंदनंदन बिनु, और नहीं जगदीस ।।8।।

  • प्रस्तुत पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर – उपर्युक्त

  • प्रस्तुत पद्यांश में किन के बीच वार्तालाप हो रहा है?

उत्तर- उद्धव तथा गोपियों के बीच।

  • उद्धव को किसके ईश्वर बताया गया है?

उत्तर- उद्धव को योग साधना के ईश्वर बताया गया है।

  • श्री कृष्ण के बिना किनकी इंद्रियां शिथिल हो गई हैं?

उत्तर- गोपी गांव की

  • “उद्धव हमारे मन दस बीस नहीं हैं।” ऐसा कौन कह रहा है?

उत्तर-  गोपिकाएँ कह रही हैं।

  • नंद नंदन किसे कहा गया है?

उत्तर- नंद नंदन श्री कृष्ण को कहा गया है।

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- वियोग श्रृंगार,  छंद- गेय पद, अलंकार- अनुप्रास, उत्प्रेक्षा, भाषा- ब्रज, गुण- प्रसाद।

ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने।

स्याम तुमहिं ह्याँ कौ नहिं पठयौ, तुम हौ बीच भुलाने ।।

ब्रज नारिनि सौं जोग कहत हौं, बात कहत न लजाने ।

बड़े लोग न विवेक तुम्हारे, ऐसे भए अयाने।।

हमसौं कही लई हम सहि कै, जिय गुनि लेहु सयाने ।

कहँ अबला कहँ दसा दिगंबर, मष्ट करौ पहिचाने।।

सांच कहौं तुमको अपनी सौं, बूझति बात निदाने।

सूर स्याम जब तुमहिं पठायौ, तब नैकहुँ मुसकाने ।।9।।

  • प्रस्तुत पद्यांश में कौन किससे कह रहा है?

उत्तर – गोपियां उद्धव से कह रही हैं

  • गोपियों किसके बारे में पूछ रही हैं?

उत्तर-  श्री कृष्ण के बारे में पूछ रही है

  • योग साधना की बातें कौन कर रहा है?

उत्तर- योग साधना की बातें उद्धव कर रहे हैं।

  • प्रस्तुत पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर-  उपर्युक्त।

  • रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – व्याख्या के लिए यहाँ क्लिक करें |

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- शान्त, छंद- गेय पद, अलंकार- अनुप्रास, भाषा- ब्रज, गुण- प्रसाद।

 

निरगुन कौन देस कौ बासी ?

मधुकर कहि समुझाइ सौंह दै, बूझति साँच न हाँसी ।।

को है जनक, कौन है जननी, कौन नारि, को दासी ?

कैसे बरन, भेष है कैसो, किहिं रस मैं अभिलाषी?

पावैगौ पुनि कियौ आपनौ, जौ रे करैगौ गाँसी ।

सुनत मौन है रह्यौ बावरौ, सूर सबै मति नासी ।।10।।

  • प्रस्तुत पद्यांश में कौन किससे प्रश्न कर रहा है?

उत्तर- उद्धव से गोपियां प्रश्न कर रही हैं

  • मधुकर का अर्थ बताइए।

उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश में मधुकर उद्धव को कहा गया है, मधुकर का शाब्दिक अर्थ भंवरा होता है।

  • गोपियां किसकी माता, पिता, स्त्री आदि के बारे में पूछ रही हैं?

उत्तर गोपिया निर्गुण ब्रह्म की माता-पिता स्त्री आदि के बारे में पूछ रही हैं

  • गाँसी व बरन शब्दों का अर्थ बताइए।

उत्तर- गांसी- छल, बरन- रंग।

  • पद्यांश का संदर्भ लिखिए।

उत्तर -उपर्युक्त।

  • रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – व्याख्या के लिए यहाँ क्लिक करें |

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- शांत, छंद- गेय पद, अलंकार- अनुप्रास, भाषा- ब्रज, गुण- प्रसाद।

 

संदेसौं देवकी सौं कहियौ ।

हौं तो धाइ तिहारे सुत की, मया करत ही रहियौ ।।

जदपि टेव तुम जानतिं उनकी, तऊ मोहिं कहि आवै।

प्रात होत मेरे लाल लड़ैतैं, माखन रोटी भावै ।।

तेल उबटनौ अरु तातो जल, ताहि देखि भजि जाते ।

जोइ-जोइ माँगत सोइ – सोइ देती, क्रम क्रम करि कैन्हाते।।

सूर पथिक सुन मोहिं रैनि दिन, बढ्यौ रहत उर सोच ।

मेरौ अलक लड़ैतो मोहन, ह्वैहै करत सँकोच ।।11।।

  • देवकी को संदेश कौन भेज रहा है?

उत्तर- देवकी को संदेश माता यशोदा भेज रही हैं

  • देवकी के पुत्र की धाय कौन है?

उत्तर- देवकी के पुत्र श्री कृष्ण की धाय माता यशोदा है।

  • तातो, मया, टेव और अलक लड़ैतो  शब्द के अर्थ लिखिए।

उत्तर- तातो- गर्म, मया- दया, टेव – आदत, अलक लड़ैतो- लाड़ला।

  • गर्म जल और उबटन देखकर कौन भाग जाता है?

उत्तर – गर्म जल और वह बटन देखकर श्री कृष्ण भाग जाते हैं

  • माता यशोदा किस की सारी अभिलाषाएं पूरी करती हैं?

उत्तर- माता यशोदा श्री कृष्ण की सारी इच्छाएं पूरी करती हैं

  • प्रस्तुत पद्यांश में रस, छंद, अलंकार एवं गुण बताइए।

उत्तर- रस- वात्सल्य, छंद- गेय पद, अलंकार- अनुप्रास, भाषा- ब्रज, गुण- प्रसाद।

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