भारतीय गायों की 4 बेहतरीन नस्लें जिनका डेअरी फॉर्म से कमा सकते हैं लाखों और इनका दुग्ध सेहत के लिए अमृत से कम नहीं है-टॉप बेस्ट नस्लें top 4 best cow, (गिर गाय )Gir cow, (थारपारकर गाय )Tharparkar Cow, (साहीवाल गाय ) Sahiwal cow, (हरियाणा गाय) Hariyana cow, Hariyana Cow,top 4 Indian cow breeds, 4 best breeds of Indian cows
विश्व में डेयरी व्यवसाय लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।वहीं इस व्यवसाय से भारत में ऐसे नस्लों की मांग बहुत ज्यादा रहती है जो ज्यादा दूध देती हैं. भारत में बहुत से पशुपालक ज्यादा दूध के लिए साहीवाल, गिर, लाल सिंधी और थारपार आदि दुधारू नस्ल की गायों का पालन करते हैं. हालांकि, देश में गाय की कई ऐसी भी नस्लें है जिनकी विपरीत मौसम परिस्थियों में भी दूध देने की क्षमता कम नहीं होती है।
उन्हीं नस्लों में से ये चार नस्लें जो दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ इनका दुग्ध सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है आईये जानते हैं इनके बारे में
गिर गाय (Gir Cow)
गिर गाय भारत की सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन वाली गायों की नस्लों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है गिर गाय की उत्पत्ति काठियावाड़ के पास मानी जाती है। जो भारत के गुजरात राज्य में स्थित है गिर गाय को बहुत से स्थनों में अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे-इस गाय को स्वर्ण कपिला के अलावा सोरती, सुरती, भांडमान,गुजराती आदि इस गाय की नस्ल के बुल का वजन 600 किलो तथा मादा का 450 किलो तक होता है।
अगर इस गाय के फैट की बात करें तो लगभग -4.5 और एक दिन में लगभग 10 से 15 लीटर प्रतिदिन दुग्ध देती है और पूरे व्यात में 1500-2000 लीटर दूध उत्पादन होता है इनका स्वभाव सीधा सरल होता है ये भारत के सभी राज्यों की जलवायु में अपने को अनुकूलित कर सकती हैं।
साहीवाल (Sahiwal Cow)–
साहीवाल गाय पंजाब प्रान्त की उत्पत्ति मानी जाती है। ये गाय डेअरी फॉर्म की शान मानी जाती है साहिवाल गाय हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाली जाती है. यह गाय भी रोजाना 10-20 लीटर से ज्यादा दूध देने की क्षमता रखती है।
डेयरी फार्म की शान बढ़ा रही साहीवाल गाय पंजाब की साहीवाल नस्ल की गाय के दूध की गुणवत्ता से प्रभावित होकर पुरे भारत और पकिस्तान के किसान भी साहीवाल नस्ल की गाय को काफी पसंद करते हैं साहीवाल नस्ल की गाय एक दिन में 10 से 16 लीटर तक दूध उत्पादन करती है। अपने एक ब्यात के दौरान ये गायें औसतन 2270 लीटर दूध देती हैं।
साथ ही इसके दूध में 5.0 वसा की मात्रा होती है। ये विदेशी गायों की तुलना में दूध कम देती हैं, लेकिन इन पर खर्च भी काफी कम होता है। साहीवाल की खूबियों और उसके दूध की गुणवत्ता के चलते वैज्ञानिक इसे सबसे अच्छी देसी दुग्ध उत्पादक गाय मानते हैं।
हरियाणा- (Hariyan Cow)
भारत में हरियाणा नस्ल की गाय की उत्पत्ति हरियाणा राज्य की मणि जाती इसी कारण इसका नाम हरियाणा पड़ा है। इस नस्ल की गाय हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अधिकतर देखि जाती है इस गाय की सबसे बड़ी विशेषता यह है। कि खान-पान पर प्रभावित होने पर भी इसकी दूध देने की क्षमता पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। इन गायों का रंग सफ़ेद होता है यह गाय एक ब्यांत में लगभग 800 से 1800 लीटर दूध देती है। इसके दूध में फैट की मात्रा 4.4% फैट यानी वसा की मात्रा होती है।
ऐसे में आइए जानते हैं हरियाणा नस्ल की गायें सफेद या हल्के भूरे रंग की होती हैं। सिर छोटा, माथा और पुट्ठे गहरे सलेटी रंग के होते हैं। टांगे लंबी और सीधी, पूंछ पतली और छोटी होती है। इस नस्ल के बुल का वजन 450 से 550 किलोग्राम होता है। जबकि, गायों का वजन 300-400 किलोग्राम तक होता है।
थारपारकर- (Tharparkar Cow)
थारपारकर नस्ल की गाय भारत की सर्वश्रेष्ठ दुधारू गायों में से एक है। थारपारकर का नाम इसके उत्पत्ति स्थल यानी थार रेगिस्तान से लिया गया है. वहीं थारपारकर नस्ल के गायें पश्चिमी राजस्थान से लेकर भारत-पाक सीमा और गुजरात में कच्छ तक पाई जाती है।
ये गाय हरियाणा नस्ल से मिलती जुलती है राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के मुताबिक थारपारकर नस्ल की गायें औसतन एक ब्यात में 1300 से 1749 लीटर तक दूध देती हैं। वहीं इस नस्ल की गायें हर रोज 12 से 16 लीटर तक दूध देती हैं। इसके दूध में फैट 4.88 फीसदी होता है। जो की स्वस्थ्य के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है।