आदिकाल की पंक्तियां & कथन- Adikal ke prasiddh panktiyan evan kathan /Uktiyan

आदिकाल की पंक्तियां & कथन- Adikal ke prasiddh panktiyan evan kathan /Uktiyan

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आदिकाल की प्रमुख पंक्तियां एवं कथन- Adikal Panktiya ev kathan UP TGT PGT EXAM 2022, Hindi sahitya

1.’इस प्रकार दसवीं से चौदहवीं शताब्दी काल, जिसे हिन्दी का आदिकाल कहते हैं भाषा की दृष्टि से अपभ्रंश का ही बढ़ाव है”-कथन किसका है ? – हजारी प्रसाद द्विवेदी

2.उस समय जैसे ‘गाथा’ कहने से प्राकृत का बोध होता था, वैसे ही ‘दोहा’ या दूहा कहने से अपभ्रंश या प्रचलित काव्यभाषा का पद्य समझा जाता था।” – आचार्य शुक्ल

3.’देसिल बअना सब जन मिट्ठा।

ते तैंसन जंपओं अवहट्ठा ।।’ – विद्यापति

4- ‘बालचंद बिज्जावहू भाषा ।

दुहु नहिं लग्गइ दुज्जन हासा ।।’ –विद्यापति

5.’नाद न बिंदु न रवि न शशि मण्डल’- सरहपा

6.’पंडिअ सअल सत्त बक्खाणइ ।

देहहि रुद्ध बसंत न जाणइ ।।

अमणागमण ण तेन विखंडिअ ।

तोवि णिलज्जइ भाइ हउँ पंडिअ ।। – सरहपा

7.” जहि मन पवन न संचरइ, रवि ससि नाहि पवेश ।

तहि बट चित्त बिसाम करु सरेहे कहिअ उवेश – सरहपा

8.’जीवंतइ जो नउ जरइसो अजरामर होइ। गुरु उपसें विभलमइ सो पर धण्णा कोई || ‘- पंक्तियाँ किसकी हैं ? – सरहपा

9.’काआ तरुवर पंच विड़ाल’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – लुइपा

10.’सहजे धिर कर वारुणि साथ’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – विरूपा

11.इक्क ण किज्ज्इ मंत्र ण तंत’ पंक्तियाँ किसकी हैं? – कण्हपा

12.’आगम वेअ पुराणे, पंडित मान बहंति पक्क सिरिफल अलिअ, जिम वाहेरित भ्रमयति । । ‘- पंक्तियाँ किसकी हैं? – कण्हपा

13.’नगर वाहिरे डोंबी तोहरि कुड़िया छइ’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – कण्हपा

14.’गंगा जउँना माझे रे बहइ नाई’ –पंक्तियाँ किसकी हैं? – डोम्भिपा

15.’हाउनिवासी खमण भतारे, मोहारे विगोआकहण न जाइ।’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – कुक्कुरिया

16.’ससुरी निंद गेल, बहुड़ी जागअ’ पंक्तियाँ किसकी हैं? – कुक्कुरिया

17.भाव न होइ, अभाव न होइ । अइस संबोहे को पतिआई’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – लुइपा

18.”नाथ पंथ या नाथ सम्प्रदाय के सिद्ध-मत, सिद्ध-मार्ग, योग-मार्ग, योग-संप्रदाय, अवधूत मत एवं अवधूत संप्रदाय नाम भी प्रसिद्ध हैं। ” – पंक्तियाँ किसकी हैं? – हजारी प्रसाद द्विवेदी

19.’नौ लख पातरि आगे नाचैं, पीछे सहज अखाड़ा ऐसे मन लै जोगी खेलै, तब अंतरि बसै भंडारा । – पंक्तियाँ किसकी हैं? – गोरखनाथ

20.’अंजन मांहि निरंजन भेढ्या, तिल मुख भेट्या तेलं । मूरति मांहि अमूरति परस्या, भया निरंतरि खेलं ।। – पंक्तियाँ किसकी हैं? – गोरखनाथ

21.“शंकराचार्य के बाद इतना प्रभावशाली और इतना महिमान्वित भारतवर्ष में दूसरा नहीं हुआ। भारतवर्ष के कोने-कोने में उनके अनुयायी आज भी पाये जाते हैं भक्ति आंदोलन के पूर्व सबसे शक्तिशाली धार्मिक आंदोलन गोरखनाथ का भक्तिमार्ग ही था। गोरखनाथ अपने युग के सबसे बड़े नेता थे । ” – पंक्तियाँ किसकी हैं ? – हजारी प्रसाद द्विवेदी

22.’नाथ बोलै अमृतबांणी । बरिषैगी कंवली पांणी ।। गाड़ि पडरवा बांधिलै खूँटा । चलै दमामा वजिले ऊँटा ।। – पंक्तियाँ किसकी हैं? – गोरखनाथ

23.’गुर कीजै महिला निगुरा न रहिला, गुर बिन ग्यांन न पायला रे भाईला’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – गोरखनाथ

  1. ‘गोरख जगायो जोग भगति भगायो लोग ।’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – तुलसीदास

25.’धूत कहौ अवधूत कहौं’ – पंक्तियाँ किसकी है? – तुलसीदास

26.”सरहे गहण गुहिर मग अहिआ।

पसू लोअ जिमि रहिआ। ।” – पंक्तियाँ किसकी हैं ? – सरहपा

27.’घर वह खज्जति सहजे रज्जइ, किज्जइ राअ-विराअ।’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – सरहपा

28.”अगर उनकी (जैनों की रचनाओं के ऊपर से ‘जैन’ विशेषण हटा दिया जाय तो वे योगियों और तांत्रिकों की रचनाओं से बहुत भिन्न नहीं लगेंगी – जैन साहित्य के संदर्भ में यह कथन किसका है ? – हजारीप्रसाद द्विवेदी का

29.”जो जिण सासण भाषियउ, सो मइ कहियउ सारु ।  जो पालइ सइ भाउ करि, सो सरि पावइ पारु ।। – पंक्तियाँ किसकी हैं? – देवसेन

30.” बारह बरस लौ कूकर जीवै, अरु तेरह लौ जियै सयार ।

बरस अठारह क्षत्रिय जीवै, आगे जीवन कौ धिक्कार । – पंक्तियाँ किस ग्रंथ की हैं। – परमाल रासो ( आल्ह खंड )

31.’राजनीति पाइये । ग्यान पाइयै सु ।।

उकति जुगति पाइये। अरथ घटि बढ़ि उनमानिय । ।” — पंक्तियाँ किस ग्रंथ की हैं? – पृथ्वीराज रासो

32.”उक्ति धर्म विशालस्य । राजनीति नवरसं ।।

खट भाषा पुराणं च । कुरानं कथितं मया।।” – पंक्तियाँ किसकी हैं ? – चंदरवरदायी

33.”समग्र महाकाव्य के भीतर से पृथ्वीराज की त्रासदी के साथ एक सामाजिक राजनीतिक त्रासदी भी उभरती है जो जितनी पृथ्वीराज की है उससे कहीं अधिक राष्ट्र की है” – पंक्तियाँ किसकी हैं? – डॉ० बच्चन सिंह

34.’सोरहियो दूहो भलो, भलि मरवण री बात ।

जोवन छाई धण भली, तारो छाई रात।। “-

पंक्तियाँ किस ग्रंथ के संदर्भ में प्रसिद्ध हैं? – ढोला-मारू रा दूहा ।

35.”सदा तैरैया ना बनफूलै, यारो सदा न सावन होय । स्वर्ग मड़ैया सब काहू को यारो सदा न जीवै कोय।। ” – पंक्तियाँ किस ग्रंथ की हैं? – परमाल रासो (आल्ह खंड )

36.”च मन तूतिए – हिन्दुम, अर रास्त पुर्सी ।

जे मन हिंदुई पुर्स, ता नाज गोयम । । “

(मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ, अगर तुम वास्तव में मुझसे कुछ पूछना चाहते हो तो हिंदवी में पूछो जिसमें कि मैं कुछ अद्भुत बातें बता सकूँ।” – कथन किसका है? – अमीर खुसरो

37.खुसरो की कुछ प्रसिद्ध पहेलियाँ

(१) एक थाल मोती से भरा । सबके सिर पर औंधा धरा ।

चारो ओर वह थाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे । । । – (आकाश)

(२) एक नार ने अचरज किया। साँप मारि पिंजड़े में दिया।

जो जो सांप ताल को खाए । सूखे ताल साँप मर जाए।। (दिया-बाती )

(३) एक नार दो को लै बैठी। टेढ़ी होके बिल में पैठी।

जिसके बैठे उसे सुहाय । खुसरो उसके बल बल जाय । – (पायजामा)

(४) अरथ तो इसका बूझेगा। मुँह देखो तो सूझेगा। – ( दर्पण )

                 (ब्रजभाषा में)

(५) चूक गई कुछ वासों ऐसी । देस छोड़ भयो परदेसी ।

(६) एम नार पिया को भानी। तन बाको सगराज्यों पानी ।

(७) चाम मास वाके नहिं नेक। हाड़ हाड़ में बाके छेद ।।

मोंहि अचंभो आवत एैसे। वामें जीव बसत है कैसे ।।

 

खुसरो के प्रसिद्ध दोहे और गीत –

       उज्जलबरन, अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान ।

       देखत में तो साधु है, निपट पाप की खान ।

 

      गोरी सोवै सेज पर, मुख पर डारै केस।

      चल खुसरो घर आपने, रैन भई चहुँ देस ।

 

मोरा जोबना नवेलस भयो हैं गुलाल।

कैसे गर दीनी कस मोरी माल ।।

सूनी सेज इस वन लागै,

बिरहा अगिन मोहि उस उस जाय 

 

38.” समग्र भारतीय साहित्य में हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें पश्चिमी आर्यों की रूढ़िप्रियता, कर्मनिष्ठा के साथ ही साथ पूर्वी आर्यों की भाव- प्रवणता, विद्रोहीवृत्ति और प्रेमनिष्ठा का मणिकांचन योग हुआ है।” – कथन किसका है ? – हजारीप्रसाद द्विवेदी

39.”पुरुष कहाणी हौं कहौं जसु पंस्थावै पुन्नु” पंक्तियाँ किसकी हैं? – विद्यापति (कीर्तिलता से )

40.”अवधू रहिया हाटे बाटे रूष विरष की छाया । तजिबा काम क्रोध लोभ मोह संसार की माया ।। ” – पंक्तियाँ किसकी हैं? – गोरखनाथ

41.स्वामी तुम्हई गुरु गोसाई । अम्हे जो सिव सबद एक बूझिबा ।

निरारंबे चेला कूण विधि रहै। सतगुरु होइ स पुछया कहै ।। – पंक्तियाँ किसकी हैं? – गोरखनाथ

42.” भल्ला हुआ जु मारिया बहिणि महारा कंतु । लज्जेजं तु वयंसि अहु जइ भग्गा धरु एंतु । ” – पंक्तियाँ किसकी हैं? – हेमचंद्र

43.”८४ सिद्धों में बहुत से कछुए, चमार, धोबी, डोम, कहार, लकड़हारे, दरजी तथा बहुत से शूद्र कहे जाने वाले लोग थे। अतः जाति-पाँति के खंडन तो वे आप ही थे।” – पंक्तियाँ किसकी हैं? – आचार्य शुक्ल

44.”जिस समय मुसलमान भारत में आए थे उस समय सच्चे धर्मभाव का बहुत कुछ ह्रास हो चुका था। परिवर्तन के लिए बहुत बड़े धक्कों की आवश्यकता थी ।“ – आचार्य शुक्ल

45.मनहु कला ससभान कला सोलह सौ बन्निय” – पृथ्वीराज रासो

46.’जोइ – जोइ पिण्डे सोई – ब्रह्मांडे’ – गोरखनाथ

47.”कुट्टिल केस सुदेस पोह परिचिटात पिक्क सद।

   कमलगंध बयसंध हंसगति चलित मंद मंद।। ” – चंदरवरदायी

48.“हिंदू समाज में नीची से नीची समझी जाने वाली जाति भी अपने से नीची जाति ढूँढ़ लेती है।”- हजारी प्रसाद द्विवेदी

49.’जिमि लोण बिलिज्जई पाणि एहि तिमि धरणि लई चित”- कथन किसका है ? – कण्हपा

50.’सुधामुख के विहि निरमल बाला अपरूप रूप मनोभव-मंगल त्रिभुवन विजयी माला” – पंक्तियाँ किसकी हैं? – विद्यापति

51.’सरस बसंत समय भला पावलि दछिन पवन वह धीरे सपनहु रूप बचन इक भाषिय मुख से दूरि करु चीरे । ” – पंक्तियाँ किसकी हैं? – विद्यापति ( पदावली से )

52.” पिउ चितौड़ न आविऊ सावण पहिली तीज । जोवे बाट बिरहिणी खिण- खिण अणवै खीज ।। ” दलपत विजय (खुमाण रासो )

53.किस ग्रंथ से बनारस और आसपास के प्रदेश संस्कृति और भाषा आदि पर अच्छा प्रकाश पड़ता है और उस युग के काव्य-रूपों के सम्बन्ध में भी थोड़ी-बहुत जानकारी प्राप्त होती है? – दामोदर शर्मा कृत ‘उक्ति व्यक्ति प्रकरण’

54.’रघुनाथचरित हनुमन्त कृत, भूप भोज उद्धरिय जिमि।

प्रथिराज सुजस कवि चंद कृत, चंद नंद उद्धरिय तिमि ।।

– पंक्तियाँ किस ग्रंथ की हैं? – पृथ्वीराज रासो

55.” इणि परि कोइलि कूजइ, पूजई युवति मणोर ।

विधुर वियोगिनि धूजई, कूजइ मयण किसोर ॥‘ – पंक्तियाँ किस काव्य-ग्रंथ की हैं? – बसंत – विलास

56.’जइ सुरसा होसइ मम भाषा, जो जो बुन्झिहिसो करिहि पसंसा’ – पंक्तियाँ किसकी हैं? – विद्यापति (कीर्तिलता से )

56.विद्यापति के श्रृंगारिक पदों के संदर्भ में यह कथन किसका है- ‘आध्यात्मिक रंग के चश्मे आजकल बहुत सस्ते हो गए हैं, उन्हें चढ़ाकर जैसे कुछ लोगों ने ‘गीत गोविंद’ को आध्यात्मिक संकेत बताया है वैसे ही विद्यापति के इन पदों को भी । ” – आचार्य शुक्ल

57.’अभि- अंतर की त्यागै माया’, ‘दुबध्या मेटि सहज में रहें” पंक्तियाँ किसकी है – गोरखनाथ

58.’जइ सक्कर सय खंड थिय तो इस मीठी भूरि’ – पंक्तियाँ किसकी है? – मुज

59.’बज्जिय घोर निसानं राम चौहान चहूँ दिसि’ पंक्तियाँ किसकी हैं? – चंदरवरदाई।

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