मेंथा की खेती कर कमायें लाखों कैसे करें मेंथा Peppermint की खेती और किसे निकलता है Mentha oil शुरु से और लास्ट तक

मेंथा की खेती कर कमायें लाखों कैसे करें मेंथा Peppermint की खेती और किसे निकलता है Mentha oil शुरु से और लास्ट तक :(Earn 100000 by cultivating Mentha. How to cultivate Mentha (Peppermint) and who gets Mentha oil from the beginning till the end:)

भारत की फसलों में कम समय और कम लागत में सबसे ज्यादा मुनाफा देंने वाली फसलों में मेंथा का नाम सबसे पहले आता है. तो आईये जानते है की मेंथा जिसे पिपरमिंट के नाम से जाना जाता है इसकी खेती कैसे करते हैं  इसकी कुल लागत कितनी आती है और किस किस्म से सबसे ज्यादा मुनाफ होता है और इससे किसान एक एकड़ में कुल कितनी आमदनी कर सकता है. जैसा की आपको जानकारी देना चाहेंगे कि पूरी दुनिया में मेंथा ऑयल की खपत लगभग 9500 मीट्रिक टन है.

मेंथा की खेती सबसे ज्यादा इसकी सुगंधित पत्तियों और तेल के लिए की जाती है. मेंथा ऑयल उत्पादन में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है. भारत के उत्तर प्रदेश के कुछ चुनिन्दा जिले जैसे-बाराबंकी, सीतापुर, लखीमपुर, साहजहनपुर, लखनऊ, सुल्तानपुर आदि में सबसे ज्यादा की जाती है मेंथा, जिसे पुदीना या पेपरमिंट भी कहा जाता है. यह औषधीय गुणों वाला एक पौधा है. जिसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है. वैसे तो इसे पूरे देश में किसान उगाते हैं, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश,  गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में इसकी खेती  होती है.

नकदी फसलों में शामिल मेंथा यानी पिपरमिंट की खेती की बाजार में हमेशा मांग रहती है:

मेंथा आयल की सबसे अच्छी बात ये है की किसान अपना मेंथा का तेल लोकल एरिया में विक्रय कर सकते है लोकल एरिया में बहुत सरे registered क्रय केंद्र हैं जिसमे आप अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से ऑनलाइन भाव देख कर आप बेंच सकते हैं और नगद रुपये पा सकते है आपको तेल बेंचने में उतना ही समय लगता है जितना एटीएम से पैसे निकलने में. बाज़ार में इसकी कीमत 1000 रुपये प्रति kg होती है .

तो आईये जनते हैं कैसे करें खेती:

मेंथा यानी पिपरमिंट की नर्सरी के लिए किस्म और मिटटी का चुनाव: आपको बताना चाहेंगे की पिपरमिंट की फसल के लिए उपजाऊ दोमट काली मिटटी, दोमट, दोमट बलुई मिटटी सबसे उपयोगी मानी जाती है आगा अगर फसल की बात करें तो आलू की फसल के बाद February, March में इसकी रोपाई की जाती है. रोपाई से लगभग 30 दिन पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है.

ज्यादा उत्पादन वाली किस्म का चुनाव:

आपको बताना चाहेंगे की मेंथा का कोई बीज नहीं होता है इसकी जड़ से इसकी नर्सरी तैयार की जाती है. कालका, सिम कोसी, हिमालय, गोमती, सिम सरयू, सक्षम, संभव, डमरू और मेन्था की खेती को बढ़ावा देने के लिए सीमैप किसानों को मेन्था की ‘सिम-कोशी’, सिम उन्नति, सिम क्रांति नमक नवीनतम प्रजाति भी उपलब्ध करा रहा है। एक हेक्टेयर में मेन्था की खेती से 140 लीटर से 200 लीटर तक तेल प्रदान करने वाली यह मेन्था की सबसे अधिक पैदावार देने वाली प्रजातियां है। किसानों को यह उन्नत प्रजातियां अरोमा मिशन के तहत मुहैया करायी जा रही है । किसान मेले में ‘सिम-कोशी’, सिम उन्नति, सिम क्रांति प्रजातियां लगभग 500 कुंतल मेन्था जड़ें पौध सामग्री के रूप में किसानों को उपलब्ध करायी गईं। जिससे किसानों के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी. इन सब किस्मों में चयन करें तो ‘सिम-कोशी’, सिम उन्नति, सिम क्रांति में से किसी एक को चुन सकते हैं.

मेंथा की खेती का सही समय जनवरी से लेकर फरवरी तक का होता है. यह वो समय होता है जब सर्दी का मौसम खत्म होता है और गर्मी की शुरुआत होती है. यानी मध्य जनवरी से फरवरी तक का समय मेंथा की बुआई के लिए सबसे अच्छा समय होता है.

नर्सरी कैसे करें:

नर्सरी के लिए एक एकड़ खेत में रोपाई के लिए  6 एअर खेत और उसमे नर्सरी के लिए 120kg जड़  की जरुरत होती है खेत को सुखा कर वर्मीकम्पोस्ट बिखेरकर  रोटोवेटर से जुताई कर छोटी छोटी क्यारिया बनाकर पानी भर देना चाहिए जब थोडा पानी सोक जाय तब जड़ के छोटे छोटे टुकड़े पुरे खेत में बराबर बिखेर देना चाहिए और ऊपर से वर्मीकम्पोस्ट की पतली परत से ढक देना चाहिए जिससे नर्सरी जल्दी तैया हो जाती है.

पिपरमिंट की पौध रोपण एवं अच्छी जल निकास वाली मिट्टी:

मेंथा की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी में पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ होना चाहिए, अच्छी जल धारण क्षमता होनी चाहिए और अच्छी जल निकासी व्यवस्था भी आवश्यक है. तभी जाकर किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

नर्सरी करने के लगभग 30 दिन बाद नर्सरी को रोपाई कर देनी चाहिए रोपाई करने के लिए खेत में एक by एक फीट की दुरी पर खेत में पानी भरने के बाद पौधों को लगा देना चाहिए और 6 से १० दिन के अन्तराल पर पानी लगाते रहना चाहिए दुसरे पानी पर 120 kg dap प्रति एकड़  देनी चाहिए और कीट से बचाव के लिए कीटनासक का प्रयोग करें 3-4 पानी में यूरिया 120 kg प्रति एकड़ और 5-6 पानी में पोटाश 60 kg प्रति एकड़

डालनी चाहिए 75 दिन की फसल होने के बाद खेत में नमी बनी रहनी चाहिए जिससे पेड़ की पत्तियां नहीं गिरती हैं जिससे प्रोडक्शन अधिक होता है पानी हल्का लगाना चाहिए और 100 gram प्रति टंकी की दर से सल्फर सल्फर 90 wdg का छिडकाव करना चाहिए और 90 दिन में फसल आपकी पक कर तैयार हो चुकी है मतलब तेल निकलने के लिए तैयार है.

आसवन (Distillation ) प्रक्रिया द्वारा निकाला जाता है तेल:

मेंथा को उबाल कर उसकी भाफ को ठंडा कर तेल को अलग कर लिया जाता है पानी और तेल को अलग करना आसान है क्योंकी Mentha oil पानी से हल्का होता है जिससे ये ऊपर रहता है और पानी नीचे जिससे एक हेक्टेयर में मेन्था की खेती से 140 लीटर से 200 लीटर तक तेल का उत्पादन होता है जिसकी बाज़ार में कीमत 125000 से 200000 तक की आमदनी होती होती है

वर्तमान समय में इसकी खेती सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में की जा रही है. सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान, लखनऊ इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. मेंथा की बढ़ती मांग की वजह से यह आज के समय में शुद्ध मुनाफे वाले सौदा बनता जा रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें मेंथा की खेती.

 

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