इस विधि से और इस किस्म से करें आम की बागवानी और कमायें लाखों मिटटी तथा जमीन का तापमान और पीएच वैल्यू– आज जानेगे सब कुछ.
भारत में आम को सभी फलों में श्रेष्ठ माना जाता है आम का वृक्ष एक फलदार, बड़ा स्थलीय वृक्ष है। इसमें दो बीजपत्र होते हैं। इसके फूल छोटे-छोटे एवं समूह में रहते हैं। इसे मंजरी या बौर कहते हैं। इसकी पत्ती सरल, लम्बी एवं भाले के समान होती है। इसका तना लम्बा एवं मजबूत होता है। इसका फल एक गुठलीवाला सरस और गूदेदार होता है। आम का फल विश्वप्रसिद्ध स्वादिष्ट फल है। इसे फलों का राजा कहा गया हैं।
आम की बागवानी के लिए पीएच 6.5 से आठ के बीच में रहना चाहिए। जमीन ऐसी होनी चाहिए जिसपर पानी ठहरे नहीं, लेकिन हाँ जहाँ पर आम की खेती करनी है, उस जमीन पर पानी खूब होना चाहिए। पानी ठहरना नहीं चाहिए ये बात कम नहीं है और दूसरी बात तापमान जो है वो 25 डिग्री से लेकर 40 डिग्री तक सर्वैब कर जाता है।
पौधे की किस्म का चयन और कीमत-
भारत में लगभग 2500 से भी ज्यादा आम की किस्में है। और इसके इसमें 35 से 40 किस्में कमर्शियल यूज़ के लिए उगे जाती है यानि की जो बागवानी के लिए उपुक्त मणि जाती हैं, जिसमें दशहरी, आम्रपाली, मल्लिका, पूसा लालिमा, पूसा पीताम्बर, पूसा श्रेष्ठ, पूसा प्रतिभा, पूसा सूर्या, पूसा अरुणिमा, अर्का अरुणा, अर्का पुनीत, अरुणिमा, अंबिका, सिन्धु, रत्ना आदि किस्में हैं ।
जो आज के समय में इन किस्मों की अधिक मात्रा में खेती की जाती है इन किस्मों की पौधों की कीमत की अगर बात करें तो हर किस्म की अलग अलग कीमत है जो कि ₹30 से ₹1000 तक भी हैं। किस्म के आधार पर ही इसकी कीमत है।
पौधों को रोपने का तरीका:
आम के पौधों को रोपने के दो तरीके हैं, एक तरीके में पौधे से पौधे की दूरी 12*12 फीट पर लगाया जाता है और दूसरी तकनीक जो इजराइल में इजात हुई है। इस तकनीक में पौधे पौधे की दूरी 3.5 से 4 फीट और लाइन से लाइन की दुरी 12 फीट रखी जाती है। इस तकनीक को आधुनिक तकनीक भी कहा जाता है। जिससे बहुत प्रकार के फायदे होते है। नजदीक में पौधे होने के कारण फ्लोवरिंग सुगमता से होती है जिसके कारण फलों का उत्पादन अधिक मात्रा में होता है।
पौधे से पौधे की दूरी कम होने से एक हेक्तियर छेत्र में ज्यादा पौधों की मात्रा होगी जिससे उत्पादन जल्दी मिलना शुरु हो जायेगा। अच्छी बागवानी के लिए आजकल ज्यादातर लोग बौनी किस्में जैसे आम्रपाली आम की किस्म जिसकी उचाई 7.5 फुट तक होती हैऔर पेड़ नीचे नीचे फैलता रहता है, इसका उत्पादन बहुत अधिक होता है, इसमें हार्वेस्ट में दिक्कत नहीं होती, स्प्रे करने में दिक्कत नहीं होती। कटाई छटाई में दिक्कत नहीं होती। तो उससे आपको ज्यादा बेनिफिट रहता है।
पेड़ लगाने का तरीका: जनवरी या फरवरी में गढ़े खोदने है, खड्ढे में गोबर की खाद और उसके साथ में डीएपी मिलकर डाल दीजिए, और उसको उसको छोड़ दीजिये। अगर बारिश आती है तो ठीक है नहीं तो उन गड्ढों में पानी भर दीजिये जिससे अन्दर पड़ी खाद एक से डेढ़ महीने में गल जाएगी खाद गलने के दो महीने बाद जून जुलाई में आप उसमे ग्राफ्टिंग प्लांट लगा दीजिये। और सभी पौधों को ड्रिप सिस्टम से कनेक्ट कर दें ताकि उसको थोड़ा थोड़ा पानी रोजाना मिलता रहे। ज्यादा पानी नहीं, थोड़ा थोड़ा पानी मिलना चाहिए।
आने वाली बीमारियां और उनके समाधान:
शुरू होती है तो उसको दिवाली यहाँ से शुरू होती है। क्या आपने कुर्सी लगाई? गुटली में फंगस लग जाए या दीमक लग जाए पहली बिमारी तो ये मान लीजिये आप प्लीज़ जो है वो लग गए तो उसके बाद जब पौधा थोड़ा बड़ा होगा तो आपको करानी होगी राफ्टिंग यानी कलम लगवानी होगी। उसके बीच में। लगवाना चाहते हैं तो जब करवाएंगे तो उस वक्त उसमें ग्राफ्टिंग वाले हिस्से में फंगस लग जाए। इसके बाद अगर आपने प्लांट लगाएंगे और कुछ दिनों के बाद उस जगह में दीमक लग सकती है तो उसके लिए आपको कई प्रकार की दवाइयां आती है। जैसे क्लोरोपोरिफोस liquid आता है इस लिकुड को आप ज़मीन में अप्लाई कर सकते हैं। इसके बाद जब आपका प्लांट और बड़ा हो जाता है और इसका तना नीचे से मोटा हो जाता है। तो इसमें रेगुलर खाद और कम्पोस्ट का प्रयोग नियमित रूप से करते रहते हैं।
हार्वेस्टिंग कब और कैसे करें?
आम का जो सीज़न है ये इसकी वराइटी के हिसाब से रहता है। अप्रैल से जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर तक आम की अलग अलग वैराइटी मार्केट में आती रहती। जैसे ही अच्छा भाव मिले, जब आप का फल तैयार हो जाए, उस वक्त हार्वेस्टिंग कर लीजिए।
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