CAA नागरिकता संशोधन कानून बिल क्या है, किसे मिलेगी भारत की नागरिकता तथा किस राज्य में नहीं लागू होगा Citizenship Amendment Act? संसद से कब पारित हुआ था कानून? क्या अभी भी है कुछ विवाद समझते है संक्षेप में।
Citizenship Amendment Act:भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम(Citizenship Amendment Act) पुरे देश में लागू कर दिया गया है। इस कानून के अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यक सर्नार्थी जो भारत के नागरिक नहीं हैं उन्हें भारतीय नागरिक बनने का सुनहरा मौका है ।
CAA क्या है:
(What is the Citizenship Amendment Act in India)
सी. ए. ए. का फुल फॉर्म Citizenship Amendment Act है जिसे 2019 में संसोधित किया गया था । इस कानून के बनने से उन उन गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक सर्नार्थियों को भारत की नागरिकता मिलनी आसान हो जाएगी जो इन तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के नागरिक हैं और वह लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी भी धर्म का हो , की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
कब लागू हुआ है देश में:
Citizenship Amendment Act (CAA) 11-03-2024 दिन सोमवार को भारत में लागू किया गया था । कानून को नागरिकता संशोधन विधेयक 09-12-2019 को विधेयक सदन से पारित हुआ और 11-12-2019 विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था। तथा 12-12-2019 में इस विधेयक को राष्ट्रपति का अनुमोदन भी मिल गया था।
CAA से जुड़ा क्या है भ्रम और क्या है हकीकत:
भारत में Citizenship Amendment Act (CAA) सोमवार को सीएए कानून को लेकर अधिसूचना पारित कर दी गई है CAA कानून लागू होने के बाद देश के कई हिस्से में इसका समर्थन हो रहा है तो कुछ लोग विरोध में भी खड़े हैं। 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित किया गया था तब भारी संख्यां में भी देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस बीच (CAA) क़ानून को लेकर अनेक प्रकार की भ्रांतियां भी देश में फैली थीं।
क्या हैं भ्रांतियां?:
अमित शाह, भारत के गृह मंत्री जी ने यह स्पष्ट किया है कि Citizenship Amendment Act (CAA) कानून में भारत में अवैध रूप से रह रहे मुस्लिम प्रवासियों को चाहे वह बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान कहीं का हो उसे वापस भेजने के लिए कानून नहीं है इसलिए मुसलमानों और छात्रों समेत लोगों को यह सोचने की जरुरत नहीं है की सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।
यह एक अफवाह है और निराधार है। और विदेशों में रह रहे मुसलमानों के लिए भारत की नागरिकता लेने की तो नागरिकता अधिनियिम की धारा-5 महत्वपूर्ण है। ये प्राकृतिक आधार पर नागरिकता से संबंधित है। इसके तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमानों के लिए भारतीय नागरिकता लेने के लिए कोई रोक नहीं लगाती है। ऐसे में इस कानून में किसी अन्य देश से भारत आने वाले मुस्लिम प्रवासियों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है।
(CAA) क़ानून के समर्थन में रैलियां और प्रदर्शन:
Indian News Plus:भारत की कई हिस्से में जैसे नई दिल्ली, मुंबई, नागपुर, बेंगलुरु, देहरादून आदि जगहों पर समर्थन में रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए गए. दिसंबर, 2019 में भी कोलकाता में एक रैली का नेतृत्व भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने किया और इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित हिंदू शरणार्थियों ने भाग लिया।
इन राज्यों में CAA के विरोध में प्रस्ताव पास:
सीएए के खिलाफ 6 राज्यों में प्रस्ताव पास किया गया है. इनमें केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, तेलंगाना शामिल हैं. इन राज्यों की विधानसभा में सीएए लागू न करने की प्रस्ताव पास किया जा चुका है।
कानून की मुख्य बातें क्या हैं?:
नागरिकता अधिनियम, 1955 यह बताता गया है कि कौन से विदेशी नागरिक भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है? और क्या हैं संर्ते? वह व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है जिसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता-पिता भारतीय हों या कुछ समय से देश में रह रहा हो, लेकिन उन अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से रोंका गया है। जो अवैध प्रवासी हैं अवैध प्रवासी वह विदेशी होता है जो: पासपोर्ट और वीजा जैसे वैध दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करता है, या उनकी समयावधि समाप्त हो चुकी है।