मीराबाई रसखान की प्रमुख पंक्तियां एवं कथन- meerabai eva raskhan ki Panktiya ev kathan UP TGT PGT EXAM, Hindi

मीराबाई रसखान की प्रमुख पंक्तियां एवं कथन- meerabai eva raskhan ki Panktiya ev kathan UP TGT PGT EXAM, Hindi

मीराबाई रसखान की प्रमुख पंक्तियां एवं कथन- meerabai eva raskhan ki Panktiya ev kathan UP TGT PGT EXAM, Hindi- 

मीराबाई की प्रसिद्ध पंक्तियाँ

(१) बसो मेरे नैनन में नंदलाल

 

(2)मन रे परसि हरि के चरन ।

     सुभग सीतल कमल कोमल त्रिविध ज्वाला हरन ।

 

(३) बिरहनी बावरी सी भई ।

     ऊँची चढ़ि अपने भवमें टेरत हाय दई ।

 

(4) जग सुहाग मिथ्या री सजनी हांवा हो मिट जासी ।

      वरन करयां हरि अविनाशी म्हसे काल – व्याल न खासी

 

(5) अंसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम – बेल बोई ।

 

(6) सावन भाँ उमग्यो म्हारो हियरा भणक सुव्या हरि आवण री।

 

(7)घायल की गति घायल जानै और न जानै कोई |

 

 

(८) जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई ।।

 

(९) म्हाने चाकर राखोजी ।

     चाकर रहयूँ बाग लगायूँ नित उठ दरसन पासूँ।

 

(१०) जोगी, मत जा, मत जा, पाइ परूँ चेरी तेरी हौ    

       प्रेम-भगति को पैंड़ों ही न्यारो हमकूँ गैल बता जा

 

(११) पग घुंघरु बाँध मीराँ नाची रे

       मैं तो अपने नारायण की आपहि हो गई दासी रे

 

(१२) यह विधि भक्ति कैसे होय

       मण की मैल हिय तें न छूटी दियो तिलक सिर धोय

 

(१३) प्रेमनी – प्रेमनी प्रेमनी रे, मने लागी कटारी प्रेमनी   

        जल -जमुनाँ भाँ भरवाँ गयाँताँ, हती गागर माथे हेमनी

(१४) थे तो पलक उधाड़ो दीनानाथ, मैं हाजिर नाजिर की खड़ी        

साजनियाँ दुसमण होय बैठ्याँ, सब नैन लगूँ कड़ी ।

 

रसखान की प्रसिद्ध पंक्तियाँ –

(१) मानुष हो तो वही रसखान बसौं सँग गोकुल गांव के ग्वारन ।

(२) या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिनू पुर को तजि डारौं ।

(३) ब्रह्म मैं ढूँढयो पुरानन गानन, वेदरिया सुनी चौगुने चायन ।

     देख्यो सुन्यो कबहूँ न हूँ वह कैसे सरुप औ कैसे सुभायन ।

(४) मोर पखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गले पहिरौंगी।

      ओढ़ि पितांबर लै लकुटी बन गोधन ग्वालन संग फिरौंगी।

(5) सेस महेस गनेस दिनेस सुरेसहु जाहिं निरंतर गावैं ।   

     ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भर छाछ पै नाच नचावैं ।

(६) धूरि भरे अति सोभित स्याम जू वैसी बनी सिर सुंदर चोटी 

      खेलत खात फिरै अंगना पग पैंजनि बाजति पीरी कछोटी

(7)होती जू पै कूबरी हयाँ सखि भरि लातन मूका बकोटती केती

    लेती निकाल हिये की सबै नक छेदि कै कौड़ी पिराई कै देती ||

(8)कारय उपाय बास डोरिय कटाय

     नाहिं उपजैगो बाँस नाहि बाजै फेरि बांसुरी

(५) रसखानि कबौं इन आँखिन सों ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौ

     कोटिक हौं कल धौत के धाम करील के कुंजन ऊपर बारौं । ।

(10)जेहि बिनु जाने कछुहि नाहिं जान्यो जात बिसेस ।  

       सोइ प्रेम जेहि जान कै रहि न जात कछु सेस ।।

       प्रेम फाँस सो फंसि मरै सोई जियै सदाहि ।

       प्रेम मरम जाने बिना मरि कोउ जीवत नाहिं । ।

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